ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की, अनभिज्ञ पथों से परिचय कराएगी,
सुषुप्ति में सोये इस मन को, विशुद्ध ज्ञान के बोध से जगाएगी।
जग बंधन है, माया-रचित, उस हठी गाँठ से ये मिलवाएगी,
अनंत व्यापक उस ब्रह्म के, निर्विकार निर्गुणत्ता को भी समझाएगी।
सृष्टि के आदि में अंत है, शून्य सन्नाटे में टपकते गूंज को ये सुनाएगी,
आकाश की गहराइयों में बह रही, सच्चिदानंद के आभा को भी दर्शाएगी।
इच्छा-तृष्णा है मोलरहित, स्वार्थ भक्ति से ये बचाएगी,
मायारचित देह-दर्शन भी सत्य है, सगुण भाव के सूत्र को भी बताएगी।
पंचभौतिक जगत में उपस्थित, उस ब्रह्म की सर्वज्ञता का भान कराएगी,
शरीर में रहते हुए उस चैतन्य की, चेतना का प्रकाश भी दिखाएगी।
साक्ष्य भी ‘मैं’ और साक्षी भी ‘मैं’, अंतःकरण के क्षेत्रों में ज्ञान फैलाएगी,
आत्मबोध में निहित उस ब्रह्मबोध की राह, तब प्रत्यक्षता पाएगी।
सत, रज,तम को पार कर, कर्म के बंधनों को तोड़ना सिखाएगी,
निःस्वार्थ प्रेम की नैया पर बिठाकर, मोक्ष के सागर की दिशा में ले जायेगी।