ये तराना काफ़ी है
मुझे मजबूरियों का हार मत पहेनाना
क्योंकि मेरे जौहर ही मेरी ज़ेवर है
समझ सकों तो ये तराना काफ़ी है
वर्ना क्या जाता है समझ लो कि ये तेवर हैं।।
नितु साह
हुसेना बंगरा सीवान-बिहार
मुझे मजबूरियों का हार मत पहेनाना
क्योंकि मेरे जौहर ही मेरी ज़ेवर है
समझ सकों तो ये तराना काफ़ी है
वर्ना क्या जाता है समझ लो कि ये तेवर हैं।।
नितु साह
हुसेना बंगरा सीवान-बिहार