ये डीह बाबा…..
शादी के खाहुन कुटले बा
और माई से रिसियाईल बा
काहें से कउनो बरदेखुआ
दुआरे पर नाही आइल बा
खिचड़ी बीत गईल……
लगत बा आ जाई फाग
ये डीह बाबा!!!!!!!!!!
कब जागी विजया के भाग
बरम बाबा के परनाम करत बा
के हमरो के बाबा उद्धार करीं
मन में असरा बा डोली चढ़ब
तनि हमरो अंदर उदगार भरीं
केहू कह दिहले के शादी न होइ
त लग जाता ओकरे तन में आग
खिचड़ी बीत गईल……
लगत बा आ जाई फाग
ये डीह बाबा!!!!!!!!!!
कब जागी विजया के भाग
रउरे आगे भी आपन माथा
ऊ कई – कई बार पटकले बा
हाथ के अपने खोपड़िया पर
अनगिनत बार झटकले बा
आपे डील कई लेंइ…..
शादी के ओकरे विभाग
खिचड़ी बीत गईल……
लगत बा आ जाई फाग
ये डीह बाबा!!!!!!!!!!
कब जागी विजया के भाग
अगुआ लोगन के उड़न नमस्ते
सुबह शाम करत बा जाके
अर्द्धभुक्की व्रत रहत बा
दस के जगह पांच रोटी खाके
जे शादी न होइ ओकर त
खाई बस पनियहवा साग
खिचड़ी बीत गईल……
लगत बा आ जाई फाग
ये डीह बाबा!!!!!!!!!!
कब जागी विजया के भाग
-सिद्धार्थ गोरखपुरी