ये जीवन सिर्फ मेरा है…हाँ सिर्फ मेरा ही तो है…
ये जीवन सिर्फ़ मेरा है
हाँ सिर्फ़ मेरा ही तो है
मेरी उलझनें,मेरी ही परेशानियाँ
खुशियाँ भी तो मेरी ही हैं..दुख भी मेरे
ये गम भी मेरे हैं..ये नादानियाँ भी
ये समझदारी भी मेरी और ये पागलपंथी भी
मेरी हँसी भी मेरी और मेरी आंखों के आँसू भी
मेरी जिम्मेदारियाँ भी मेरी और मेरी बेवकूफियाँ भी
मेरी गलतियां भी तो सिर्फ मेरी ही तो हैं
मेरे अन्दर का प्रेम भी मेरा और नफ़रत भी
मेरे प्रश्न भी मेरे और हल भी मेरे
ये जीवन जाने क्यों लगता है
सिर्फ़ मेरा ही तो है
एक खोज़ है बाहर से अन्दर की ओर
शरीर से आत्मा की ओर खोज़
आत्मिक शांति की खोज़
जाने क्यों ढूंढे खुशियाँ बाहर की ओर
क्यों हैं उम्मीदें दूसरों से बेशुमार
हर कोई खुद को ही तो ढूँढे जा रहा है
खुद को ही तो बचाये जा रहा है
फिर क्यों ये मन भटके जा रहा है
चुप्पी बस साधे चले जा रहा है
क्यों नहीं सुनता ये मन की आवाज़
कि ये जीवन सिर्फ़ मेरा ही तो है
कोई नहीं आयेगा बचाने इसे
समझना भी खुद है समझाना भी खुद है
गिरना भी खुद है और सँभलना भी खुद है
रोना भी खुद है और हँसना भी खुद है
हिम्मत भी मेरी है और आशा भी मेरी
बस चलते जाना है बिना रुके बिना थके
जीवन के इस युद्ध में अन्तर्रद्वन्द में
कृष्ण सा सारथी भी मैं ही हूं और अर्जुन भी
क्योंकि ये जीवन मेरा ही तो है
सुन्दर सा खूबसूरत सरल सा जीवन
क्योंकि सोच भी तो मेरी ही है
मेरा संघर्ष भी तो बस मेरा ही है
ये जीवन भी मेरा ही तो है..सिर्फ़ मेरा है
©® अनुजा कौशिक