ये जिंदगी इक बार क्या दस बार चल के आये
ये जिंदगी इक बार क्या दस बार चल के आये
तू आये बहार आये चमनज़ार चल के आये
छोड़े ना तेरा साथ जो आ जाये मौत भी
नादां जहाँ के लोग हैं बेकार चल के आये
मुमकिन है मेरी आँख को हो जाय तेरी दीद
इस रास्ते पे इसलिए सौ बार चल के आये
तेरी निगाह- ए- नाज़ में इकरार है मगर
कहने को अपने लब से तू इक बार चल के आये
सुनते थे तेरी बज़्म में मिलती हैं राहतें
अपने लिये जो आये तो आज़ार चल के आये
तीर-ए-ईश्क़ की बदौलत हैं दिल की धड़कनें
कोई तो खूबी है जो शिकार चल के आये
आँख में निगाह ‘सरु’ ना दिल में मोहब्बत कोई
आए तो सही मुझ से बेज़ार चल के आये