ये क्या हो रहा है…. किसान आंदोलन
…………….गीत
ये क्या हो रहा है?
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आतंकी अन्नदाता, बताया जा रहा हैं।
कैसा किस्सा ,ये सुनाया जा रहा हैं।।
सच के पीछे झूंठ, कौन सा छुपा है।
गोली -डंडा भी ,चलवाया जा रहा है।।
लालकिले की यूं ,बदल डाली कहानी।
नया झंडा कैसे, फहराया जा रहा है।।
क्या कोई साजिश तो, नहीं है ये गहरी।
दो अप्रैल को ,दोहराया जा रहा है।।
सच में ये किसान थे, या कोई जालिम।
देश को ये क्या, दिखाया जा रहा है।।
किसान भी मेरा है ,जवान भी है मेरा।
कैसा ये षड्यंत्र,रचाया था रहा है ।।
क्यूं ये हलचल है ,कैसी है अफरा- तफरी।
देश को किस रास्ते पै, लाया जा रहा है।।
गणतंत्र को गम में ,यूं तब्दील करके।
देश भक्ति का गीत ,गाया जा रहा है।।
एक दम कैसे ,ये माहौल है बदला ।
सोचकर ये सर ,चकराया जा रहा है।।
जांज तो इस बात की, करवा ही डालो।
तीर ये किसका , चलाया जा रहा है।।
रात भर रोती रही, यूं मां भारती ।
आजादी का मान, घटाया जा रहा है।।
किसान को जवान से, यूं लड़वाकर ।
देश को ये क्या, सिखाया जा रहा है।।
ये ही थे क्या ,अच्छे दिन सरकार तेरे।
खून से खून को, लडवाया जा रहा है।।
फूट जातीं आंख ,ये देखने से पहले।
तिरंगे के दिन तिरंगे को, हटाया जा रहा है।।
संविधान दिवस पर, हटाओ संविधान को।
देशद्रोही बिगुल, बजाया जा रहा है।।
बेच ना दे माली ,अब सारे चमन को।
खोलो आंखें, हाथ से सब जा रहा है।।
जाग सको तो जाग जाओ,ए- देश वालों
“सागर” तुमको, अब चेताया था रहा है।।
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बेखौफ शायर/गीतकार
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित