ये कौन
ये कौन ले रहा है जायजा मेरे
कहानी किसने दोहराई है
हमने तो बगावत ना की
फिर किसने उसे उकसाइ हैं।।
ये दौर क्यों इतना अजीब है
चारों तरफ़ हम की शहनाई हैं
सूरज से पूछो तो आग
धरती मीठी शहद की गहराई है।।
बोल चाहे कोई तुम बोलो
बातें ही ज़हर और मिठाई है
लो,दो तुम जो चाहो यहां
बहस करो तो एक लड़ाई है
शाम-सुबह, दिन और रात
रब का बुना एक कढ़ाई हैं
बात वहीं जो बात नहीं
हर एक पर बन आज आई है।।
नितु साह(हुसेना बंगरा) सीवान-बिहार