~~ये कैसी रफ़्तार??~~
~~ये कैसी रफ़्तार??~~
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“सफर, संभावनाओं में
कटता रहा!
शीतोष्ण, भावनाओं का
बटता रहा!
कहीं सर्द थपेड़े,
तो कहीं उष्ण झुलस,
कहीं वासंतिक बयार में
मन उलझता रहा!
वह रंगों में बहा,
कई किस्से कहा,
पर सादगी, सफेदी का
फीका कहता रहा!
छाँव नहीं जिन पेड़ों तले,
भूल वटवृक्ष की बरकत
दिग्भ्रमित पथिक अज्ञात पथ पर
त्वरित चलता रहा!!”____दुर्गेश वर्मा