ये कैसी दीवाली
ये कैसी दीवाली
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राम आज यदि अवध में आते,
यही हमें समझाते।
सही अर्थ क्या दीवाली का,
विधिवत हमें बताते।
स्वागत में बहु दीप जलाओ
दीपावली मनाओ।
लेकिन बारूदी ध्वनि तज दो।
पर्यावरण बचाओ।
ये कैसा स्वागत है मेरा,
ये कैसी खुशहाली।
धुंआ धुँआ है जल नभ थल,
नहीं ये साँच दिवाली।
त्रेता में मेरे अवध निवासी,
घी के दिये जलाए थे।
मेरे पुनरागमनावसर पर,
दिल से सब हर्षाये थे।
लक्ष्मी लम्बोदर पूजा था,
आरती स्तुति गाया।
सबको गले लगाकर दिल से,
सबका कुशल मनाया।
प्रदूषित कर दिया धरा तो,
होगी हालत माली।
अगली पीढ़ी होगी वंचित,
नहीं कभी मने दीवाली।
सुनो आर्य जन थोड़ा जागो,
तज दो आतिशबाजी।
वरना राम भी बचा न पाए,
प्रकृति की बर्बादी।