“ये कैसी चाहत?”
“ये कैसी चाहत?”
न वो कभी आ सके
न हम कभी जा सके
न दर्दे-दिल का हाल
किसी को बता सके
बस बैठे हैं यादों में
अहसास लिए उनकी
न वो याद किए कभी
न हम उन्हें भुला सके।
“ये कैसी चाहत?”
न वो कभी आ सके
न हम कभी जा सके
न दर्दे-दिल का हाल
किसी को बता सके
बस बैठे हैं यादों में
अहसास लिए उनकी
न वो याद किए कभी
न हम उन्हें भुला सके।