ये कैसी आस्था शिव के प्रति तुम्हारी
आज सुबह आंखों के सामने की गाथा
ये कैसी आस्था……….
मैं शिव के प्रति तुम्हारी
आस्था पे कैसे शक कर
सकती हूँ,
पर नरम हृदय हूँ तो
लिखे बिना भी कैसे
रह सकती हूँ?
सुबह से देख रही हूँ
आस्था के नाम पर
लम्बी लम्बी लाइनों
में लग कर लोग
शिवलिंग पर
दूध चढ़ा रहे हैं,
हजारों लीटर दूध
नाली में बहा रहे हैं और
वो मंदिर के बाहर बहुत से नन्हे बालक भूख से बिलखे है
प्रयास कर रहा है,
ना जाने कुछ
खाने को मिल जाए ।
तुम्हीं तो कहते हो
कि हर इंसान में
भगवान का वास है,
फिर वो नन्हां भगवान
और उसकी माँ
मंदिर के बाहर
भूखे बैठे हैं
और आप दूध
बहाये जा रहे हो,
कैसे प्रसन्न हो सकते हैं
भगवान?
जब उसी के सामने
भूख से तड़प रहा हो
इंसान,
सोचने की बात तो है,
ज़रा समय निकाल कर
सोचना कि,
आस्था बड़ी है या
भूख से बेहाल इंसान?
अगर मानते हो कि
हर इंसान में होता है
भगवान,
तो बस इतना ध्यान
कर लेना और
कोशिश करना
कि कोई भूखा
ना सोए इंसान,
यही सच्ची आस्था है,
तभी खुश होंगे भगवान।
तभी खुश होंगे भगवान।।
मंदिर के बाहर बच्चो को भी कुछ खाने को अवश्य दे
दीपाली कालरा