“ये कैसा दस्तूर?”
“ये कैसा दस्तूर?”
कहीं नहीं था तुम्हारा नाम
स्कूल अस्पताल धर्मशालाओं के
किसी शिलालेखों में,
ईंट-गारा पकड़ने वालों की कहानी
कहाँ लिखी जाती है
कभी किसी दस्तावेजों में?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“ये कैसा दस्तूर?”
कहीं नहीं था तुम्हारा नाम
स्कूल अस्पताल धर्मशालाओं के
किसी शिलालेखों में,
ईंट-गारा पकड़ने वालों की कहानी
कहाँ लिखी जाती है
कभी किसी दस्तावेजों में?
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति