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31 Jul 2024 · 1 min read

ये काबा ये काशी हरम देखते हैं

ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
कि अपना ख़ुदा तुझमें हम देखते हैं

ज़माने के सब ख़ूबसूरत नज़ारे
तुम्हारी निगाहों से हम देखते हैं

ग़ज़ल ले रही है नयी एक करवट
ये ‘दुष्यंत’ ‘ग़ालिब’ ‘अदम’ देखते है

नज़ीर नज़र

1 Like · 148 Views
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