” ये आसमां बुलाती है “
ये रंगीली आसमां भी ना ,
पता नहीं क्या चाहती है ?
बार – बार अपनी अदाओं से ,
मुझे अपने पास बुलाती है ।
हर सुबह नई उमंग जगाती है ,
हर शाम कई राग सुनाती है ।
ये हर पल बदल – बदल कर मुझे बहुत लुभाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।
सभी पक्षियों के उड़ान के लिए ,
अपनी बाहें फैलाती है ।
पल भर में ये धरती गगन का मिलन बन जाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।
दिन भर की थकान को ,
अपने सौंदर्य से दूर भगाती है ।
हर रोज अपने यौवन को दर्शाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।
पतंगों को उड़ाने के लिए ,
हवा का भी रूख बदल देती है ।
कटी पतंग को संभालने के लिए ,
अपना दामन खोल देती है ।
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।
पता नहीं क्यों ये आसमां ,
खुद से अलग मुझे होने नही देती है ।
हर रात मुझे नींद भी इसी की गोद में आती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली