Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Apr 2020 · 1 min read

” ये आसमां बुलाती है “

ये रंगीली आसमां भी ना ,
पता नहीं क्या चाहती है ?
बार – बार अपनी अदाओं से ,
मुझे अपने पास बुलाती है ।

हर सुबह नई उमंग जगाती है ,
हर शाम कई राग सुनाती है ।
ये हर पल बदल – बदल कर मुझे बहुत लुभाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।

सभी पक्षियों के उड़ान के लिए ,
अपनी बाहें फैलाती है ।
पल भर में ये धरती गगन का मिलन बन जाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।

दिन भर की थकान को ,
अपने सौंदर्य से दूर भगाती है ।
हर रोज अपने यौवन को दर्शाती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।

पतंगों को उड़ाने के लिए ,
हवा का भी रूख बदल देती है ।
कटी पतंग को संभालने के लिए ,
अपना दामन खोल देती है ।
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।

पता नहीं क्यों ये आसमां ,
खुद से अलग मुझे होने नही देती है ।
हर रात मुझे नींद भी इसी की गोद में आती है ,
ये आसमां मुझे अपने पास बुलाती है ।

? धन्यवाद ?

✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली

Language: Hindi
2 Likes · 242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ज्योति
View all
You may also like:
2864.*पूर्णिका*
2864.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुखद गृहस्थी के लिए
सुखद गृहस्थी के लिए
Sonam Puneet Dubey
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
एक वृक्ष जिसे काट दो
एक वृक्ष जिसे काट दो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
O CLOUD !
O CLOUD !
SURYA PRAKASH SHARMA
खामोश रहना ही जिंदगी के
खामोश रहना ही जिंदगी के
ओनिका सेतिया 'अनु '
Being an
Being an "understanding person" is the worst kind of thing.
पूर्वार्थ
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
Keshav kishor Kumar
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*यह दुर्भाग्य गृहस्थी में प्रभु, कभी किसी के लाना मत (हिंदी
*यह दुर्भाग्य गृहस्थी में प्रभु, कभी किसी के लाना मत (हिंदी
Ravi Prakash
बसंती हवा
बसंती हवा
Arvina
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
Poonam Matia
ये मेरा स्वयं का विवेक है
ये मेरा स्वयं का विवेक है
शेखर सिंह
कुंडलिया ....
कुंडलिया ....
sushil sarna
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
क्यों गुजरते हुए लम्हों को यूं रोका करें हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
Shweta Soni
चाहता हूं
चाहता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
🙅आप का हक़🙅
🙅आप का हक़🙅
*प्रणय*
मेरी अर्थी🌹
मेरी अर्थी🌹
Aisha Mohan
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
Chaahat
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
तुम्हारे साथ,
तुम्हारे साथ,
हिमांशु Kulshrestha
मृत्यु के पश्चात
मृत्यु के पश्चात
Vivek saswat Shukla
"सफर अधूरा है"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...