यूनिवर्सल सिविल कोड
यूनिवर्सल सिविल कोड
कितना सूंदर दृश्य दर्शाता है हमारे देश का पुष्पों से परिपूर्ण उद्यान !
सुगंध बिखेरते सुमन यहाँ कई धर्मों के -हिन्दू,,सिख,ईसाई ,मुसलमान।
लोकतंत्र है देश-धर्म और संविधान है धर्म-ग्रन्थ महान,
सभी के लिए सर्वोपरि होना चाहिये इस ग्रन्थ का सम्मान।
विभिन्न धर्मों की पावन नदियों को देश -धरा पर बहते जाना है,
यह नियति है उनकी कि देश-धर्म के सागर में मिल जाना है।
सविधान देता देश में समानता का सुन्दर सन्देश,
कानून के समक्ष कोई नहीं हो सकता है विशेष।
उपेक्षित रहा अभी तक समान नागरिक सहिंता का निर्देश,
अति आवश्यक है कि अविलम्ब किर्यान्वित हो यह अनुदेश।
एक से अधिक कानून से आहत होता समानता का अधिकार,
दुर्बल होता देश की एकता और अखंडता के ध्येय का आधार।
समान नागरिक संहिता है एक आदर्श,समदर्शी, व्यवस्था का विचार,
सभी को देश के हित में इसे करना होगा सहर्ष स्वीकार।
तजकर रूढ़ियों की वर्जनायें, प्रगति पथ पर सब कदम बढ़ायें,
मिटाकर भेदभाव हम भारतवासी ,नया -भारत मजबूत बनायें।
डॉ हरविंदर सिंह बक्शी