यूं ही नहीं
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दर्प कीड़ा था।
कुतर गया।
पत्तों से कोमल विचारों को।
पशु नंगा था।
दिखा गया ठेंगा।
बरसती रातों को।
आदमी अच्छा था।
मर गया भूख से।
तीर,तलवार फेंक कर।
वह औरत थी।
उसे बड़ी जल्दी थी।
दु:ख जन्म देने की।
वह स्त्री ही थी।
सारी शर्तें मान गयी।
पुत्री के ब्याह की।
हाँ,वह वही थी।
वेदना और उपेक्षा जानती थी।
ब्याह गयी किन्तु,उसीसे।
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