यूं काटोगे दरख़्तों को तो।
यूं काटोगे दरख़्तों को तो फिजाओं का क्या होगा।
हर साख ही रो रही है अब इन परिंदों का क्या होगा।।1।।
बना करके आज बस्ती फिर तुम इसको उजाड़ोगे।
यहां बसेंगे जो इंसा फिर उन इंसानों का क्या होगा।।2।।
यूं भी जुल्म ना ढाओ कि इंसानियत ही मर जाए।
वरना बारोज ए हस्र पूछे गए सवालों का क्या होगा।।3।।
नासमझी में ना खत्म कर लेना तुम यह जिन्दगी।
शिद्दत से मांगी फिर मां की दुआओं का क्या होगा।।4।।
मौत ने ले लिया आगोश में आलिमे हकीम को।
कौन देगा यूं जल्द शिफा अब बीमारों का क्या होगा।।5।।
जब सच ही झूठ की तारीफ करें तो झूठ कैसा।
सारी दुनिया में बचे अब सच्चे नुमाइंदों का क्या होगा।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ