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15 Jan 2021 · 2 min read

यूँ ही नहीं कहलाती मेरे भारत माँ की

यूँ ही नहीं कहलाती मेरे भारत माँ की जज़्बाती बेटियाँ
सुनी कोख़ ना रह जाए वीरता के बीज बो जाती बेटियाँ
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कभी उषा बनकर पीटी करवाती है बेटियां
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कहाँ दुर्गा काली लक्ष्मी बनके तलवार चलाती है बेटियां
भारत मां से पैदा रज़िया भी सुल्तान कहलाती है बेटियां

कभी आयशा तो कभी दीपा कभी जोशी की मंजू यहाँ
कभी उषा बनकर देश मे पी टी भी करवाती है बेटियां

बलिदान देने की बात आती वीरता में मंगल के संग तो
कंधे से कंधे मिला के लक्ष्मी बाई रूप चढाती है बेटियां

कभी सांई के आशीर्वाद से शिवा का नाम लेकर के यूँ
सिद्धि अपनी अपनी इस जगत में दिखलाती है बेटियां

कभी विश्व किं दौड में भागकर के हिमदास की तरह से
विश्व कप मिताली राज जैसी हिन्द को दिलाती है बेटियां

कोई कवयित्री कोकिला सी कुक कुक लता मंगेशकर सी
कन्याकुमारी से कष्मीर तक वीरता गीत गाती है बेटियां

कोई काव्या कोई पांचाली कभी गीता के प्रकाश पथ पे
सीता माँ को आगामी बना कर के चल जाती है बेटियां

जरूरत होती माँ जिजाऊ से विश्व गुरु बनकर हिन्द की
शेरों से अपने छत्रपति गुरु गोविंद को लड़ाती है बेटियां

कही भारत माँ की आबरू पे कोई गली ना उठायें यहाँ
इसलिये माँ पद्मावती के जौहर को अपनाती है बेटियां

फ़िर देश हमारा गुलाम ना रह जाये यही सोचकर यारोँ
सुभाष भगत की मशाल लेकर जाग्रति फैलाती है बेटियां

क्षत्राणी माताओं के दूध पी के उनकी गाथा के ओवी में
हथियार उठा राजपूतानी शान यहाँ दिखलाती है बेटियां

कभी अपने स्वरों के गुण से प्रकाशित कर गुरुवाणी को
अपनी स्वरांजलि से स्वरों के पुष्प लेकर चढाती है बेटियां

अशोक सपड़ा हमदर्द
दिल्ली से
9968237538

Language: Hindi
220 Views
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