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29 Nov 2016 · 1 min read

यूँ मौसम का असर गया गोया

यूँ मौसम का असर गया गोया
रंग-ए-गुल और निखर गया गोया

हुआ महसूस ये देखकर उसे
मुझमें सूरज उतर गया गोया

मानूं क्या दम खम उस बंदे में
वादे से जो मुकर गया गोया

गम की धूप और वक़्त की आँधी से
इंसान और संवर गया गोया

कभी भूल के भी उनकी गली में
जाना नहीं था मगर गया गोया

हिदायत नहीं असरदार इस पर
दिल ये मुहब्बत कर गया गोया

है कौस-ओ-कज़ा क्या सिवा इसके
रंग धूप का बिखर गया गोया

न किसी की चाह न हसरत ‘सरु’ को
कम है ज़्यादा सफ़र गया गोया

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