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20 Nov 2023 · 1 min read

#विदाई गीतिका

★ #विदाई गीतिका ★

लोग पूछेंगे तुम कहाँ हो
कैसे क्या तब कहूँगा मैं
प्राणाधिक थे तुम मेरे
बिन प्राण अब रहूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . .

वो इक दूजे के पीछे छुपना
और देखकर न देखना
स्मृतियों की अविरल धारा
तिनके-सा अब बहूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . .

दिनों पर छायी जा रही
वो रातों की कालिमा
कहीं दूर तुम गगन में
अब सब सहूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . .

तुम बंदी सपनों की कारा में
मिलने को मन विकल
मोल मांगे कोई मिलाप का
सिर काटकर धरूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . .

न रंग रूप रहा मेरा
न आँखों की पहेलियां
तुम आ रहे कोई कह दे
दु:स्वप्न-सा अब डरूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . .

कल बहुत खेल खेले
वो फुलझड़ियों के मेले
सब तुम्हें सौंपता हूँ
भूलेबिसरे अब चलूँगा मैं

लोग पूछेंगे . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
158 Views
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