यूँ न मायूस हो कोशिश भी दोबारा कर ले
यूँ न मायूस हो कोशिश भी दोबारा कर ले
इन चराग़ों को जला फ़िर से उजाला कर ले
जीत या हार मुक़द्दर की बात होती है
हार कर हंस ले ज़रा ये भी ख़सारा कर ले
वक़्ते-मुश्क़िल में सहारा भी बहुत तिनके का
तुझको जाना है अगर पार सहारा कर ले
कौन सा घर है जहाँ कुछ भी न अनबन होती
बात घर की है समझ थोड़ा दिखावा कर ले
ये है सुनसान डगर और अंधेरे में सफ़र
एक जुगनू भी मिले उसका भरोसा कर ले
लोग सुनकर के मुहब्बत पे हंसेंगे यूँ भी
तेरी मर्ज़ी है अगर ये भी तमाशा कर ले
बेचना जिस्म को ईमान को अच्छा भी नहीं
इससे बेहतर है के ग़ुरबत में गुज़ारा कर ले
बात सच्ची है ज़माना भी नहीं बोलेगा
बात झूटी है अगर उससे किनारा कर ले
तुझमें है गिर के संभलने का हुनर तो पक्का
मिल के रहती है बुलन्दी जो इरादा कर ले
कब से तैयार हुये दिल को लिये बैठा वो
आज ‘आनन्द’ कोई दिल का भी सौदा कर ले
– डॉ आनन्द किशोर