*युवाओं की शक्ति*
युवाओं की शक्ति
बदल दें सागर की धारा,
किसी दरिया की हिम्मत क्या?
जिन्होंने ठान ली रण में,
उनको हराना रण में क्या?
जो अपने मत से ना पलटें,
बचा लें डूबती कश्ती।
मिट जाए जिन्हें मिटाने में,
दुश्मन की भी हर हस्ती।
जो अड़ जाएंँ,
सीने चढ़ जाएंँ।
अपने हक अधिकार के लिए,
शहंँशाह से भी भिड़ जाएंँ।
जो बदल दें दिशा दशा दोनों,
जिनके मन फौलाद हों।
बदले समीकरण हर घर के,
जब युवा औलाद हो।
दुष्यन्त कुमार की कलम से,
ऐसे युवाओं का मान हो।
जो फाड़ दें धरती,
निशाना आसमान हो।