“युद्ध की घड़ी निकट है”
युद्ध की घड़ी निकट है,
तू अस्त्र शस्त्र थाम ले।
साहस , शौर्य, धैर्य साधे,
तू कर्मयोग ठान ले।
युद्ध की घड़ी निकट है,……..
अव्यक्तता में व्यक्त बनके,
तू गीता सा ज्ञान ले।
युद्ध की घड़ी निकट है…….
कर्मण्यता मे कृत्य बनके,
तू धर्मपथ अभिराम ले।
युद्ध की घड़ी निकट है……..
युद्ध तेरा स्वयं से है,
यह सत्य तथ्य जान ले।
युद्ध की घड़ी निकट है,……..
काम क्रोध आदि शत्रु,
तू इन विकारों को विराम दे।
युद्ध की घड़ी निकट है………
तेरा जन्म क्यों हुआ है जग में,
यह शाश्वत सत्य जान ले,
युद्ध की घड़ी निकट है,………
ये युद्ध महाभारत सा,
तू अर्जुन बनके युद्ध की हुंकार ले।
युद्ध की घड़ी निकट है………..
स्वअस्तित्व की पहचान कर ,
विजय तिलक का सार ले।
युद्ध की घड़ी निकट है……..
उजाले का अभिमान बनके,
जनजागृति का अभियान ले।
युद्ध की घड़ी निकट है,
तू अस्त्र शस्त्र थाम ले।