या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ
कौन है अधिक मृत्युदायी आदिवासी का फर्सा, तीर या सरकारी बन्दूक की गोलियाँ ?
भूख तो भूख, सिर्फ हताशा अधिक निर्मम और भयंकर है किसका कष्ट अधिक गम्भीर है किसान का, मजदूर का या आदिवासी का नारायणपाटणा से थोड़ी ही दूर अब मुश्किल है पहुँचना उस बन्दिकारा’ और सर्बुपदर तक क्या हम सभी गृहबन्दी मनहूस हैं उस निष्करुण भय के ? या इतिहास के ?
: राकेश देवडे़ बिरसावादी