या रब वो समझे हैं न समझेंगे…
तुम हुक्मरान की तरफ़ से
हम अवाम की तरफ़ से!
तुम मज़हब की तरफ़ से
हम इंसान की तरफ़ से!!
तुम मेरी बात आख़िर
समझोगे भी तो कैसे!
तुम फ़िरक़े की तरफ़ से
हम ज़हान की तरफ़ से!!
तुम हुक्मरान की तरफ़ से
हम अवाम की तरफ़ से!
तुम मज़हब की तरफ़ से
हम इंसान की तरफ़ से!!
तुम मेरी बात आख़िर
समझोगे भी तो कैसे!
तुम फ़िरक़े की तरफ़ से
हम ज़हान की तरफ़ से!!