या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे
या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे
रस्ता मोहब्बत से मिरे घर का कर दे
मुझे खिड़की से बुलाए है चाँद रात को
दिन कोई मुक़म्मल मुलाकात का कर दे
वक़्त-ए-रफ़्तार रुकी है न रुकेगी कभी
क्यूँ ना दिन अड़तालीस घंटे का कर दे
तीमारदार हूँ मैं हमेशा से इसकी
कुछ तो दिल को भी मेरे काम का कर दे
ज़रूरी है बेकरारी दिल में इसलिए
खुशियों का माहौल चाहे गम का कर दे
फूल क्या खुश्बू क्या क़िताबी लफ्ज़ हैं
कभी तो मेरे लिए इन्हें काम का कर दे
यहाँ फक़त नज़र-नज़र का फ़र्क़ है ‘सरु’
सदका जाने कौन किसकी नज़र का कर दे