या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे
रात को रौशन कर दे
मजधार में फंसी है
किश्ती को साहिल कर दे
रोक ले आफ़त को
रहमत से ग़नी कर दे
मुसाफ़िर की दूर है मंज़िल
सफ़र के वास्ते सामां कर दे
मुश्किल है बड़ी. जाने तू
ज़िन्दगी, आसां कर दे
परिंदे की आरजू सुन
क़ैद से आज़ाद कर दे
फ़िरौन हैं पीछे लगे
दरिया से पार कर दे
मोर्चा है सख्त, दुश्मन से
कमज़ोर को फ़तेहयाब कर दे
सब कुछ तेरे हाथ में है सनम
फ़क़ीर को शाह कर दे
न जाने कब क्या हो
कोई काम भला कर दे
मौहब्बत ज़िंदिगी है जाना
ज़िंदिगी मौहब्बत से बसर कर दे
कुछ नज़र नहीं आता
नज़र को पुरनूर कर दे……परवेज़