जानाॅं
तुम्हें खोजते रहना और खुद को ही खो देना
बस यही इक काम अब रह गया है मेरा जानाॅं
सावन के अंधे को ज्यूॅं सब हरा हरा ही दिखता है
मुझको भी चारों तरफ तू ही तू खड़ा दिखता है जानाॅं
ज़िन्दा जिस्म में बालिस्त भर ठहाका ओढ़े… मुर्दा सी मैं
स्याह रात के सीने पे सितारों के महफिल में चाॅंद से तुम जानाॅं