याद है ना
आज सुबह जब मैं नींद से जागा
याद आ गया मुझे वो मेरा बचपन
नटखट सा प्यारा सा था बचपन
माँ की आवाज पर कहना अभी आया
फिर भी गली में खेलते रहना
बार बार बुलाने पर भी न जाना
माँ का फिर गुस्से में चिल्लाना
पापा से शिकायत करूंगी कह कर डराना
और मेरा डर कर दौड़ कर के आना
मट्टी से सने हुए ही आँचल में छिप जाना
माँ का रूठना और मेरा उन्हें मनाना
पापा से शिकायत न करने को कहना
हाथ पैर धुला कर के हाथों से खिलाना
ऐसा ही होता था हम सब का बचपन
याद आ गया मुझे वो मेरा बचपन
नटखट सा प्यारा सा था बचपन
कुछ सहमा कुछ डरा सा था बचपन
पापा के लौटने पर दुबक कर बैठना
हाथों में किताब और पन्ने पलटना
कनखियों से बार बार माँ को देखना
पापा से शिकायत न करने को कहना
कड़क आवाज से पापा का पुकारना
डाँटना मत ऐसा पापा से कहते रहना
दबे पांव डरते डरते जी पापा कहना
आज क्या किया पूछने पर कहना
सारा दिन घर पर ही था मैं तो पापा
होम वर्क ही कर रहा था मैं तो पापा
मेरा झूठ पकड़ने पर उनका मुस्काना
पास बुला कर गोद में बिठा लेना
याद आ गया मुझे वो मेरा बचपन
कुछ सहमा कुछ डरा सा था बचपन
बचपन के वो खेल भी क्या निराले थे
लड़के लड़कियों का एक साथ खेलना
खेलते खेलते बात बात पर झगड़ना
रूठना मनाना फिर से एक हो जाना
वो गिल्ली डंडे की गिल्ली बनाना
वो क्रिकेट में दीवार को विकेट बनाना
ये है चौक्का और वहां छक्का मानना
गिट्टी और स्टापू एक साथ खेलना
वो गर्मी की दोपहरी आराम से झेलना
वो पकड़म पकड़ाई वो छुप्पम छुपाई
वो लंगड़ी टांग और वो तेरी शामत आई
पीठ पर हाथ मार कर वो धप्पा बोलना
एक टांग पर दौड़ कर दुसरे को पकड़ना
पकडे जाने पर पहले बैठ कर सुस्ताना
ओक लगा कर सरकारी नल से पानी पीना
कमीज की आस्तीन से मुंह को पोंछ लेना
क्या आपको याद है वो आपका बचपन
प्यारा सा नटखट सा वो आपका बचपन
थोड़ा डरा सहमा सा वो आपका बचपन
मेरे जैसा ही तो होगा वो आपका बचपन