Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

याद रखना…

याद रखना…

किसी के दिल में प्रेम का बीज बोना बहुत ही आसान काम है , लेकिन जबतक वह बीज , वृक्ष का रुप न धारण कर ले तब तक उसका ख्याल रखना हर किसी के बस की बात नहीं…

ऋतुएँ परिवर्तित होगी , डाली सहित पत्ते टूटेंगे , जो बचेगा उसे तोड़ने बंजारे आयेंगे, हवाएँ जड़ से उखार फेकने को आतुर होंगे, और उस वक्त पेड़ विरान नजर आयेगा …

पर ध्यान रखना
फिर से ऋतुयें परिवर्तित होगी , इस बार पत्ते सहित डालियाँ आयेगी, हर कोई पत्तों की उस घनी छाब में ठहरना चाहेगा, हवाएं खुद व खुद माध्यम हो जायेगी, और तुम खुद महसूस कर सकोगी एक बीज को वृक्ष बनते हुए…

77 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
24, *ईक्सवी- सदी*
24, *ईक्सवी- सदी*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
"वो दिन दूर नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
Sunil Suman
" शिखर पर गुनगुनाओगे "
DrLakshman Jha Parimal
We can rock together!!
We can rock together!!
Rachana
जिन्हें हम पसंद करते हैं
जिन्हें हम पसंद करते हैं
Sonam Puneet Dubey
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
..
..
*प्रणय*
फल और मेवे
फल और मेवे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे
हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे
gurudeenverma198
ज़िंदगी जी भर जी कर देख लिया मैंने,
ज़िंदगी जी भर जी कर देख लिया मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमें क़िस्मत ने
हमें क़िस्मत ने
Dr fauzia Naseem shad
***होली के व्यंजन***
***होली के व्यंजन***
Kavita Chouhan
देश आपका
देश आपका
Sanjay ' शून्य'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
वो जो बातें अधूरी सुनाई देती हैं,
वो जो बातें अधूरी सुनाई देती हैं,
पूर्वार्थ
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
Dr. Rajeev Jain
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
शेखर सिंह
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
manjula chauhan
अपना दर्द छिपाने को
अपना दर्द छिपाने को
Suryakant Dwivedi
*बदल सकती है दुनिया*
*बदल सकती है दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कड़वाहट के मूल में,
कड़वाहट के मूल में,
sushil sarna
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
VINOD CHAUHAN
भोर समय में
भोर समय में
surenderpal vaidya
Loading...