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10 Nov 2018 · 1 min read

याद तेरी अमलतास

याद तेरी अमलतास

आज तुम नहीं हो मां
याद कितना आती हो
सूने पलों में मुझे बच्चों-सा रुलाती हो
कभी कभी लगता गोद में लो गी उठा।
वैसे ही जैसे जब तू ने था मुझे जन्म दिया।

चिर नींद में सोई तुम मैं ने दी तुझे आवाज़
रोया था दिल मेरा मिला नहीं कोई जवाब
होता है क्या और क्यों बचपन में पहुंच जाती हूँ
कोई भी हो डर या झिड़क गोदी में छिप जाती हूँ।

आज तुम नहीं हो मां
याद जब भी आती हो
दुलार के गुलाब सब खिल उठते अचानक
मेरे मन के आसपास
झुलसती लू के झोंकों में उंची-सी दीवार बन
तुरश तपते तनावों में , तरुवर छाया-सी
याद तेरी अमलतास करती अब भी दूर
तन मन के ताप संताप
याद तेरी अमलतास।

4 Likes · 21 Comments · 519 Views
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