“याद तुम्हारी आती है”
“याद तुम्हारी आती है”
आखिर कैसी ये तेरी जादूगरी
कुछ समझ न आती है,
जितना ही तुझे भूलना चाहूँ
याद तुम्हारी आती है।
मर्ज बन गई चाहत तुम्हारी
रह-रह कर तड़पाती है,
पीये जा रहा हूँ दर्द हर पल
अब दवा यही कहलाती है।
“याद तुम्हारी आती है”
आखिर कैसी ये तेरी जादूगरी
कुछ समझ न आती है,
जितना ही तुझे भूलना चाहूँ
याद तुम्हारी आती है।
मर्ज बन गई चाहत तुम्हारी
रह-रह कर तड़पाती है,
पीये जा रहा हूँ दर्द हर पल
अब दवा यही कहलाती है।