!! याद जो दिल से जाती नहीं !!
न कोई चिंता थी मन में
न कुछ कोई कभी सोचा था
वो बचपन का साथ छोड़ जाना
यह शायद कभी सोचा न था !!
क्या होता है जवान होना
क्या होगा जवान हो कर
क्या करना होगा हमको
यह भी कभी ना सोचा था !!
कब आये स्कूल से और
कब भाग गए खलने मैदान में
कुछ खाया तो खाया , नहीं
तो फ़िक्र न ठी दिमाग में !!
मास्टर जी का डांट देना
घर पर माँ का थप्पड़ लगा देना
वो शरारत भेरे गर्मी के दिन
कभी सोचा न था बीत जायेंगे ऐसे !!
पिता जी का डर, पास न बैठ सके
हर वक्त सुबह उठने का खौफ्फ़
जरा सा स्कूल से लेट होते ही , बस
कभी सोचा न था ,वो सब खो जाएगा !!
कब आ गया भार कंधो पर
कब बन गए आ खुद पिता हम
कितना बदलाव आज के बच्चों के संग
कभी सोचा न था, आज ऐसा भी होगा !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ