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28 Jan 2018 · 1 min read

#रुबाइयाँ

नमस्कार है आप सभी को , सुनना आज सुनाऊँगा।
भाव अगर भा जाए मेरे , ताली सबकी चाहूँगा।।
प्रीतिभोज इक साथ किया तो , स्वाद प्रेम का पाया है;
स्वाद रहे ये सदा सलामत , ऊँची सोच बताऊँगा।।

प्रीतिभोज का ये आयोजन , जोड़े दिल के तारों को।
भाईचारा कायम रखता , याद दिला संस्कारों को।।
आभार तुम्हारा दिल से हम , करें आज सब प्रीतम जी;
दिली दुवाएँ देते मिलके , रखना नेक विचारों को।।

प्रेम प्रसाद चखा जो हमने , आनंद ख़ूब पाया है।
मीत प्रीत का मीठापन तो , तरु की शीतल छाया है।।
ऐसे आयोजन फिर-फिर हों , ऊँचे पद पाते जाओ;
फूले फले आपकी सेवा , दिल ने यह फरमाया है।।

आशीष रहे रब का तुमपर , चाँद सितारे छू जाओ।
पग-पग ख़ुशियाँ झूमें गाएँ , चाहत सबकी तुम पाओ।।
अंबर-सा यश जीवन में हो , रोग दोष से हो दूरी:
सीरत में नित रहे ताज़गी , सबके दिल में तुम छाओ।।

#आर.एस.’प्रीतम’
(C)सर्वाधिकार सुरक्षित रुबाइयाँ

Language: Hindi
306 Views
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