याद आते बहुत हो
हाल दिल का हमीं से छुपाते बहुत हो ।
राज गैरों को खुलकर बताते बहुत हो।।
हर घड़ी रुख पे गुस्सा नहीं ठीक साहिब।
प्यार करते नहीं चिड़चिड़ाते बहुत हो।।
किसकी यादों में खोये से रहने लगे अब।
बेवजह आजकल मुस्कुराते बहुत हो।।
शब्दवाणों से घायल किया मेरे मन हो।
बात बेकार में ही बढ़ाते बहुत हो।।
अब जो दिल से मिले दिल तो हो बात कोई।
हाथ से हाथ तो तुम मिलाते बहुत हो।।
एक दूजे के जब हो चुके आज से हम ।
हर घड़ी क्यों मुझे आजमाते बहुत हो ।।
यार दीवानगी हद से बढ़ने लगी तो।
रोज बेइंतहा याद आते बहुत हो।।
थाम लो हाथ मेरा हैं पथरीली राहें।
ज्योति है साथ क्यों डगमगाते बहुत हो।।
✍?ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा