याद आए दिन बचपन के
रहते थे हम बन ठन के
याद आए दिन बचपन के।
करते थे मनमानी
याद आ गए नाना नानी
झूठमूठ सबको सताते,
नाच दिखाते ठुमक ठुमक के
याद आए दिन बचपन के
सिर्फ खेलना और पढ़ना
इधर घूमना उधर घूमना
सजते और संवरते
दर्पण निहारें बन ठन के
याद आए दिन बचपन के
मम्मी पापा दीदी भैया
प्यार करते लेत बलैंया
दादा दादी के प्यारे
राज दुलारे हैं घर भर के
याद आए दिन बचपन के
__ मनु वाशिष्ठ