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6 May 2018 · 1 min read

यादो के आईने

यादो के आईने में तुझे सुबहो-शाम देखूँ,
कहकर तेरे तस्सवुर पे मैं भी कलाम देखूँ।

घर से निकलके रोज़ जाता हूँ मैं किधर,
पीछा अपना करके वो मंज़िल-ओ-मकाम देखूँ।

लबरेज़ हैं ये खातिर तेरे उफ़क-ए-सितम से,
और अहले-कालिब को छलनी सरे-शाम देखूँ।

तू नज़र तो आ ऐ जाँ, ये मेरे दिल की हैं फुगाँ,
तुझे देखने को जालिम तेरा दर-ओ-बाम देखूँ।

ये जो आराइशे-ग़म हैं, ये हैं जमाले-इश्क़ यारो,
तुम मेरी गिरिया देखो, मैं इश्के-अंजाम देखूँ।

दौरे-हाज़िर में ‘तनहा’, ये हैं जीने का सलीक़ा,
तुम अपना काम देखो, मैं अपना काम देखूँ।

तारिक़ अज़ीम ‘तनहा’

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