यादों को कह दो
यादों को
कह दो
मेरे समीप न आयें
मेरे घर के ही
पिछवाड़े में जाकर
एक कब्र सी
हमेशा के लिए
कहीं सो जायें
बहुत रुलाती है यह यादें
अब मुझे थोड़ा मुस्कुराना है
यादों के बिना भी
अब मुझे जीना सीखना है
यादों का बोझ
एक शव सा उठाये
इस दुनिया से मुझे
नहीं जाना है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001