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14 May 2024 · 1 min read

यादों के साये…

यादों के साये जब दिल पें पडते है ,
बेकाबु अरमान दिल कें तडपते है …

आहिस्ता सांज सरकती जाती उसपार ,
इसपार दिलको तहस नेहस करते है …

बेगुनाह दिल चल पडा था मंजील की और
फिरसे वो रास्ते भुलेबिसरे आहे भरते है…

चांदणी रात चुपके से आने को है पर
ऐ नादान दिल क्या हुआँ ,क्यूँ डरते है …

अब ना आस थी ना दिये जलाये कही ,
फिरभी वो लौ बुझा कर खुद मरते है…

ये चौखट आज गिली हुई है यादों से,
बारीश की बुंदे आँखोसे सिमेटते है …

यादों के साये जब दिल पें पडते है ,
बेकाबु अरमान दिल कें तडपते है …

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