यादों के सहारे….
हकीकत से दूर होकर, सपने में आने वाले,
अब मुझे हर दिन, रात का इंतेज़ार रहता है।
गुज़र जाती है शाम, तेरे ख्यालों में लेकिन,
सपने में तुम आओ, इस बात का दबाव रहता है।
मन बहलाने के लिये कर लेते हैं, यादों का सौदा,
यादों से मिले ज़ख्म भी, मेरा दिल ही सहता है ।
अच्छा है सोच और यादों में तुम्हारा काबू नहीं,
वरना वो भी तुम ना देती, ये मेरा दिल जानता है।