यादें
***यादें***
तेरी याद में साथी
सर्दी में तन जले ऐसे
वारिश की तपती धूप मे
जलती है धरती जैसे
है छाया नशा मेरे तन मन मे
वश तेरे ही इश्क का
ढूंढती है वस तुझी को ये निगाहे
तेरा नाम लेकर अक्सर रातों को करबट बदलता हूँ भरता हूँ आहें
ना जाने कैसी होगी
दिल हरपल यही सोचे
वश तेरी याद में साथी
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***दिनेश कुमार गंगवार ***