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19 Feb 2021 · 1 min read

यादें

यादें एक अहम हिस्सा
होती हैं
किसी की जिन्दगी का
कोई तन्हा हो
किसी मोड़ पर जीवन के और
संग उसके मीठी और
खुशनुमा यादें न हों तो
उसका जीना दूभर है
यादों का साया एक
हमसफर सा होता है
यह साथ होता है तो
कभी तन्हाई का अहसास
नहीं होता
कोई भी शख्स
खुद के सहारे नहीं बल्कि
यादों के सहारे ही
अपना समय व्यतीत
करता है
यादों का अस्तित्व होना
गवाही देता है कि
कभी तो बीते हुए पलों में
था कुछ अच्छा
आने वाले कल
हर जाने वाले पल और
खत्म होते पल तक
समेटने के लिए
जरा पलभर को कल्पना
करो कि
यह यादें न हों
मिट जायें गर जेहन से तो
कैसा हो जायेगा
मन
एक मरुस्थल सा
बिना पानी का
बिना प्यास का
चारों तरफ फैली
आंखों में धूल भरती
कांच के चूरे से कणों की
रेत का
बस रेत का।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
318 Views
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