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10 Sep 2020 · 1 min read

यादें

**** यादें ****
************

यादें आती हैं
बहुत सताती है

बीती वो घड़ियाँ
बहुत रुलाती हैं

सारी वो बातें
याद कराती है

साथी जो छूटे
स्मरण लाती है

सूखे जीवन को
सिंचित करती है

दबी जो भावनाएँ
सांस दिलाती हैंं

हरी भरी बगिया
खूब सजाती हैं

आँखे भर जाती
नीर बहाती है

सीना जल जाए
दिल भर जाती है

मनसीरत जो हैं
बदन जलाती ह
*************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 265 Views
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