यादें
जब कभी यादों में अपनी, डूब जाते हैं
गुजरे हुए पल जिंदगी के, याद आते हैं
बालपन नादानियां, स्कूल की शैतानियां
सखाओं के किस्से पुराने, गुदगुदाते हैं
गांव के बे घर पुराने, चितचोर वे सुंदर नजारे
खेत और खलियान, बहती नदिया के किनारे
माता पिता का प्यार अनुपम, दादा दादी के नेह सारे
भाई बहनों और बुआ के, किस्से वो कितने ढेर सारे
बैलगाड़ी की सवारी, मेले में जाने की तैयारी
मासूमियत वह बालपन की, कट्टी भी थी प्यारी प्यारी
क्या थी वह होली दिवाली, त्यौहार की छटाएं निराली
बीते हुए पल वह सुहाने, याद आते हैं
जीवन का सुहाना सफर, जब याद आता है
लौट आते हैं वे दिन, कितना सुकून आता है
जिंदगी के इस सफर में, जो भी मिलते हैं
कभी सुख के, कभी दुख के, दिन यह चार मिलते हैं
कभी हम भूल जाते हैं, कभी वो याद आते हैं