Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2019 · 2 min read

#यादें #बचपन #की

#वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी ।
बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी।।❤❤

इस चित्र को देखते ही मन बचपन की यादों के तरफ़ प्रफुलित हो उठा।याद आता है वो दिन जब हमे विद्यालय ले जाने के लिए हमारे माता-पिता को बहुत सारे षड्यंत्र रचने पड़ते थे और हम थे की विद्यालय जाना ही नही चाहते थे और जब घर में कोई फंक्शन हो उस समय विद्यालय जाना मृत्युदंड से कम नही लगता था। पर इतने षड्यंत्रो पर एक बच्चा कब तक बच सकता है विद्यालय जाना ही जाना है।
कुछ दिनों के बाद विद्यालय में काफ़ी मित्र बन गए मन भी लगने लगा साथ खेलना ,साथ भोजन करना बहुत मजा आता था। सबसे ख़ास बात यह थी कि #टिफ़िन में अग़र कुछ अच्छी चीज़ होती थी तो मन प्रार्थना करने भी नही लगता था क्योंकि ध्यान टिफ़िन के तरफ़ था और उस दिन मन में एक ही ख्याल आता था कि आज आगे वाली पंक्ति में नही बैठना है कुछ भी हो जाये। जैसे ही अध्यापक महोदय कक्षा में प्रवेश करते है मन दुःखी हो जाता पढ़ने में मन ही नही लगता था कुछ भी हो पर बैठे तो दूसरी पंक्ति में है वो जैसे ब्लैकबोर्ड के तरफ मुड़ते है हम धीरे से एक टुकड़ा तोड़ के खा लेते थे पर दोस्त भी कम बदमाश नही थे पीछे से #धमकी पर #धमकी दिए जाते की सर से कह देंगे ……ओह्ह! फ़िर क्या एक टुकड़ा दो घुस उनका मुँह बंद रखने के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था । अब सोचने पर समझ मे नही आ रही ये बात की आख़िर उस खाने में था क्या जो टिफ़िन के तरफ ही ध्यान जाता था। कहने का तात्पर्य यह है कि अब उस टिफ़िन मे खाना रख के खाती तो खाने में वही सब रहता है पर स्वाद वैसे नही है जो उस समय था।।
……. ✍✍✍#शिल्पी सिंह ,बलिया उ.प्र

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 510 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बुलंदियों पर पहुंचाएगा इकदिन मेरा हुनर मुझे,
बुलंदियों पर पहुंचाएगा इकदिन मेरा हुनर मुझे,
प्रदीप कुमार गुप्ता
अवसाद
अवसाद
Dr Parveen Thakur
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ज़रूरतमंद की मदद
ज़रूरतमंद की मदद
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
Manoj Mahato
भाईदूज
भाईदूज
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जीवन अपना
जीवन अपना
Dr fauzia Naseem shad
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
Sandeep Kumar
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
आसान नही सिर्फ सुनके किसी का किरदार आंकना
Kumar lalit
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
आलोचना - अधिकार या कर्तव्य ? - शिवकुमार बिलगरामी
आलोचना - अधिकार या कर्तव्य ? - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
"सब्र का इम्तिहान लेता है।
*Author प्रणय प्रभात*
2690.*पूर्णिका*
2690.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
तुम ने हम को जितने  भी  गम दिये।
तुम ने हम को जितने भी गम दिये।
Surinder blackpen
रक्षा है उस मूल्य की,
रक्षा है उस मूल्य की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
बड़ा मुंहफट सा है किरदार हमारा
ruby kumari
A Little Pep Talk
A Little Pep Talk
Ahtesham Ahmad
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
Basant Bhagawan Roy
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
सत्य कुमार प्रेमी
कहो जी होली है 【गीत】
कहो जी होली है 【गीत】
Ravi Prakash
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
Anju ( Ojhal )
अरे ! पिछे मुडकर मत देख
अरे ! पिछे मुडकर मत देख
VINOD CHAUHAN
काम ये करिए नित्य,
काम ये करिए नित्य,
Shweta Soni
जय प्रकाश
जय प्रकाश
Jay Dewangan
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
बोलो ! ईश्वर / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...