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9 May 2024 · 1 min read

*यात्रा*

भयभीत कभी ना होना तुम,
जीवन की कठिनाई में
चलना स्वयं ही पड़ता है
हर महत्तम ऊंचाई में
निश्चय ही विजय तिलक श्रृंगार तुम्हारा कर देगी उपहास उड़ाने वालों को
शांत सदा ही कर देगी
गाथा का गुणगान तुम्हारा
हर कोई दोहराएगा
जीत तुम्हारी ही होगी
पर जीत का गीत हर कोई गाएगा
हर जगह साथ नहीं होता विजय इतिहास बनाने में
संग मिलेगा बस केवल
जीत का जश्न मनाने में

ध्यान रहे एक बात हमेशा

लक्ष्य प्राप्ति के खातिर
स्वयं ही लड़ना पड़ता है
शमशान,शिखर और सिंहासन पर
स्वयं ही चलना पड़ता है
शमशान,शिखर और सिंहासन पर
स्वयं ही चलना पड़ता है।।

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