यह रात कट जाए
वो दिन आए न आए फिर , मगर यह रात कट जाए
किसी सूरत अंधेरा यह , मेरी आंखों से छंट जाए
बहुत मुश्किल है तूफ़ानों से लड़कर पार जा पाना
दुआ करिए मेरे हक़ में हवा का रुख पलट जाए
कोई एहसास रह रह कर घुटन भरता है इस दिल में
घुटन से लाख अच्छा है कि वह अहसास फट जाए
हमारा ही नहीं यह आपका भी फ़र्ज़ बनता है
कि जो भी मसअला है वह बहुत जल्दी सुलट जाए
मुझे दुनिया में हर इक चीज़ लगती है बहुत अच्छी
मगर मैं चाहता हूं यह कि सबसे मन उचट जाए
… शिवकुमार बिलगरामी