यह भूत वूत सब मन का वहम है …
दिखाकर भुतहा फ़िल्में और नाटक ,
क्यों जनता को डराकर खून सुखाते हो ।
२१ विन सदी की और जा रहा भारत ,
और खामखा अन्धविश्वास फैलाते हो ।
भूत -वूत क्या होते ? सब मन का वहम है ,
गर होते तो बदला न लेते मरने के बाद वो।
जो आज के दौर में बेवजह मार दिए जाते हैं,
क्या बेटियां ,क्या माताएं और क्या बच्चे ,
किसी के भाई-बंधू ,पिता ,पति के शव ,
ह्त्या कर बेदर्दी से फिर जला दिए जाते जाते हों।
( ताकि किसी को कोई सबूत न मिल सके. )
उन सबकी अतृप्त और दुखी आत्माएं क्या ,
पिशाच बनकर बदला नहीं लेती अपने खिलाफ ,
हुए घोर अन्याय और व्यभिचार का क्यों ?
फिर कोई काम नहीं रह जाता ,पुलिस , प्रशासन और
कोर्ट-कचहरी में जज और वकीलों का।
वैसे भी हैं यह नाकारा और नालायक ,
कौन सा इनसे अब तक कोई मामला है निबटा।
काश ! ऐसा हो जाये सब भूतों को आ जाये जोश,
फिर देखो!,ह्त्या ,बलात्कार और कन्या भ्रूण-ह्त्या का मामला झट से सुलझाते वो।