Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2021 · 1 min read

यह बरखा और याद तुम्हारी(बरसात)

दूर दिशा कजरारे बदरा
मन का चैन चुराए
दामिनी दमक रही घन माही
हिय में शूल चुभाए
तुम याद बहुत आए

तन मन भिगो रही जलधारा
शीतल हो गया आंगन द्वारा
पर अंतर्मन में यह जल भी
विरह की आग लगाए
तुम याद बहुत आए

चातक रटन लगाए घन में
कोकिल कुक रही है वन में
चटक रही हैं कलिकाएं पर
मेरे मन को न भाएँ
तुम याद बहुत आए!

धरा धानी चुनर लहराए
उमग उमग कर नाचे गाए
पर विरहन को इन बूंदों की
शीतलता ने भाएँ
तुम याद बहुत आए!

दूर देश साजन का डेरा
पलकों को आंसू ने घेरा
टप टप गिरती बरखा बूंदे
मम हृदय में शूल चुभाएँ
तुम याद बहुत आए!

बूंदों संग बहती पुरवाई
सिहर धरा ने ली अंगड़ाई
सांझ सकारे राह निहारूँ
नयन सजल हो आए
तुम याद बहुत आए!

1 Like · 2 Comments · 309 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
निर्मेष के दोहे
निर्मेष के दोहे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
Nakul Kumar
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
Rj Anand Prajapati
आस्था
आस्था
Adha Deshwal
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अर्धांगनी
अर्धांगनी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सच को खोना नहीं  ,
सच को खोना नहीं ,
Dr.sima
दस्तूर
दस्तूर
Davina Amar Thakral
तुम यादों में रहो
तुम यादों में रहो
पूर्वार्थ
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जी तो चाहता है
जी तो चाहता है
हिमांशु Kulshrestha
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
जब जब मांगेगी धरती
जब जब मांगेगी धरती
©️ दामिनी नारायण सिंह
गुलाबों का सौन्दर्य
गुलाबों का सौन्दर्य
Ritu Asooja
मैं घर आंगन की पंछी हूं
मैं घर आंगन की पंछी हूं
करन ''केसरा''
हालातों से युद्ध हो हुआ।
हालातों से युद्ध हो हुआ।
Kuldeep mishra (KD)
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
◆कुटिल नीति◆
◆कुटिल नीति◆
*प्रणय*
अ ज़िन्दगी तू ही बता..!!
अ ज़िन्दगी तू ही बता..!!
Rachana
*भ्रष्टाचार की पाठशाला (हास्य-व्यंग्य)*
*भ्रष्टाचार की पाठशाला (हास्य-व्यंग्य)*
Ravi Prakash
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
अब गुज़ारा नहीं
अब गुज़ारा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
शेखर सिंह
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
कल की तस्वीर है
कल की तस्वीर है
Mahetaru madhukar
मन के मनके फोड़ा कर...!!
मन के मनके फोड़ा कर...!!
पंकज परिंदा
"दुःख से आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...