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5 Jun 2019 · 1 min read

यह धड़कन

दुनिया में केवल वहीं चीजें महफूज़ रही है
जो कभी शोर नहीं करती
मगर मेरी धड़कनें खूब आवाज़ करती है
शायद इसलिए ये उतनी ही दुखती भी है

आखिर ये इतना धड़कती क्यों है?
बार- बार क्यों शोर करती है?
ये उतना ही धड़कें
जितनी मुकम्मल हो सांसे
पर नहीं,
ये अक्सर बेचैनियां उठा देती है
ये धड़कनें,ये शोर करती है
जब भी इन्हें दुखाया जाए
ऐसा महसूस होता है
के मेरी रूह के अलावा
कोई और जान है मेरे जिस्म में
जब भी यह खूब धड़कती हैं
पागल पागल हो जाती हैं
तब सब कुछ महसूस होता है
जीवन से अंत तक का
हर सफर का एहसास होता है
लेकिन यह धड़कन हमेशा शांत रही है
खुद से अनजान रूहों के लिए
पर इनका शोर
हमेशा गूंजा हैं मेरे कानों में
इनका दर्द
हमेशा उठा करते है मेरे सीने में
जब भी इन्हें दुखाया जाए,कोंधा जाए
तब यह खूब धड़कती हैं
पागल पागल हो जाती हैं ।
-शिवम राव मणि

Language: Hindi
1 Like · 395 Views
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